जीवित्पुत्रिका व्रत के त्यौहार का महत्व, पूजा विधि, निबंध | Jivitputrika Festival, Pooj Vrat Vidhi, Essay Hindi

by | Jul 20, 2022 | पर्व और त्यौहार | 0 comments

जीवित्पुत्रिका व्रत के के त्यौहार का महत्व, पूजा विधि, निबंध, कथा व्रत, महीना, सूची, पर्व और त्यौहार,दिन, पूजा, तिथि, महत्वपूर्ण, प्रसिद्ध तीर्थस्थान, कब है , विधि, मुहूर्त, दिनक ( Jivitputrika Festival, Pooj Festival Vrat Vidhi katha Importance in Hindi, Essay Hindi, Month, List, Festivals and Festivals, Day, Pooj, Tithi, Important, Famous Pilgrimage, Bidhi, Muhurta, Dinak, Date, Kis Din Hai)

हम आपको इस पोस्ट में जीवित्पुत्रिका व्रत के बारे में बताने जा रहे है, महिलाये कभी भी अपने सुख सलामती के लिए व्रत नहीं रहती है अगर वही बात अपने परिवार की हो तो उसके ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती है ,महिलाये कभी पति के लिए तो कभी अपने बेटा,बेटी के सुख सलामती के लिए व्रत रखती है ठीक उसी तरह जीवित्पुत्रिका व्रत में माताएं अपने बच्चो के लिए व्रत रहती है इस व्रत में 3 दिन कठोर परिश्रम करना होता है फिर भी पीछे नहीं हटती है|आज हम आपको इस पोस्ट में यही बताएँगे ,हम आपको इस पोस्ट में बताएँगे की जीवित्पुत्रिका व्रत का तिथि,शुभ मुहूर्त, कथा,जीवित्पुत्रिका व्रत में क्या खाना जरुरी होता है,इसके महत्व,इसके बिधि,और जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों मनाई जाती है आदि के बारे में जिस किसी भी माताएं को व्रत रखना है वह माताएं हमारे पोस्ट को पढ़कर व्रत रखकर पूरा कर सकती है| यह व्रत बेटा-बेटी (लड़का-लड़की) दोनों के लिए रखा जाता है|इस लिए आप हमारे पोस्ट की अंत तक जरूर पढ़े।

जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों मनाई जाती है  (Why Jitiya Festival Celebrated)

जीवित्पुत्रिका व्रत सब माताएं अपने बच्चे के लिए मनाती है ,यह व्रत बेटा-बेटी (लड़का-लड़की) दोनों के लिए रखा जाता है|अपने बच्चे की लम्बी उम्र के लिए,उनका बच्चा हमेशा खुश रहे ,अपने बच्चे की सब दुर्घटनाओं से बचाने के लिए यह व्रत रखती है|कितनी माताएं है जिनका कोई संतान नहीं है वो भी संतान प्राप्ति के लिए मनाती है|कितनी माताएं होती है जो सोने,चाँदी और नेकलेस का भी जीवित्पुत्रिका खरीद के अपने गले में पहनती है,जिस महिलाये की जितने बेटा है वो माताएं उतनी जीवित्पुत्रिका पहनती है।

जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व  (Jitiya  Importance)

जीवित्पुत्रिका व्रत हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा ही महत्व है|जीवित्पुत्रिका व्रत माताओ द्वारा अपने पुत्र की रक्षा और कुशलता के लिए किया जाता है|और जिस किसी भी महिला को कोई संतान नहीं होता है वह महिला भी व्रत रख कर संतान प्राप्ति के लिए दुआ करती है,इस व्रत को कई नाम से लोग जानते है|अगर किसी भी माँ का बेटा किसी बड़ा दुर्घटना,या कोई विकट परिस्थिति से(उसका प्राण बच जाता है)  बचकर सही सलामती निकल जाता है तो लोगो का कहना होता है की उसकी माँ उसके लिए जरूर जीवित्पुत्रिका व्रत (जियुतिया व्रत) की होगी,इसलिए इतना बड़ा संकट से उसकी प्राण बच गया है| इस पर्व को एक बार व्रत रखने की शुरुआत कर लिया जाता है|उसके बाद यह पर्व हर साल मनाया जाता है,इस पर्व को व्रत की शुरुआत कर देने के बाद किसी भी साल छोड़ा नहीं जाता है| इस व्रत में निर्जला उपवास माताओं को रखना पड़ता है,इस व्रत में जबतक पारण (व्रत तोडना ) नहीं होता है ,तबतक  इस व्रत में एक बून्द भी पानी नहीं पिया जाता है व्रत के समय में मुँह में पानी तक नहीं डाला जाता है तबतक व्रत का पारण नहीं किया जाता है,हमारे समाज में महिलाओं के लिए इस व्रत का बहुत अधिक महत्व है।

जीवित्पुत्रिका व्रत रखने के पूजा (Jitiya Festival Vrat Vidhi)

जीवित्पुत्रिका व्रत करने के लिए 17 सितम्बर को माताएं सुबह में  बाल धूल के अच्छा से स्नान करके तब खाना खाये ,उसके बाद 18 सितम्बर को रात1 या 2 बजे रात में खाना बनाकर रात 4 बजे भोर से पहले खाना खा लेना है,उसके बाद पूरी दिनभर व्रत रहना है उसी दिन फिर शाम को खरी तेल लेकर स्नान करने से पहले तिरोई के पत्ता पर खरी तेल रखकर चिलो,सियारो,और जिनकी सासु माँ (सास) नहीं है वो अपने सास के नाम (तीनो लोगो) लेकर किसी नदी या तलाब में बहा दिया जाता है,जिनके गांव के तरफ नदी,तालाब नहर नहीं है|वो महिलाये घर पर ही किसी बड़े बर्तन में पानी भरकर बहा सकती है और याद रखे उसे पैर नहीं लगने देना है  |उसके बाद माताएं अपने बाल पर थोड़ा सा खरी तेल लगाकर स्नान कर ले स्नान करते समय इतना याद रखना है की पानी एक बून्द भी मुँह में न जाये,अगर पानी मुँह में चला जायेगा तो व्रत टूट जाता है |उस दिन सेम्पू बाल में नहीं लगाना है|स्नान करने के बाद सब सृंगार करके अपने से बड़े या बुजुर्क महिलाये को पैर छूकर प्रणाम कर ले,उसके बाद एक जीवियपुत्रिका व्रत का खर-पतवार होता है उसी को पकड़ कर बिनती करती है और कहती है की ये अरियार बरियार जाकर अपने बेटा या बेटी का नाम रखकर कहती है की राजा हरिश्चंद्र जी से कह दीजियेगा की उनकी मम्मी उनके लिए जीवित्पुत्रिका व्रत की है| उसके बाद कथा सुनना,सुनना जरूरी होता है|उसके बाद 19 सितमबर को सुबह में माताएं ब्रस करके स्नान करने के बाद चावल,दाल,और 11 या 21 रुपया रखकर छूकर पंडित जी को या किसी मंदिर में दान दे सकती है|उसके बाद अपने घर में पूजा करके तब पारण (खाना खा सकती है) सकती है और पारण में दाल,चावल,सब्जी ही खाया जाता है।

2023 में जितिया व्रत कब है? (2023 Jivitputrika kab hai)

6 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा जितिया व्रत महिलाएं कई जगह पुरुष अपने बच्चे की खुशियां ली और उन्नति के लिए अश्विन माह में माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत मनाते हैं 2023 में 6 अक्टूबर की जिउतिया व्रत मनाया जाएगा

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा (Jitiya Festival Essay Hindi)

जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा बुजुर्क लोगो से ही सुनने को मिलता है |जीवित्पुत्रिका व्रत की बहुत सारी कथाये  है उसी में से हम आपको एक कथा बताने जा रहे है|बड़े बुजुर्क का कहना है की किसी गांव में एक महिला रहती थी,उस महिला का एक ही संतान (बेटा) था ,एक संतान के बाद वह दूसरे संतान को जन्म नहीं दे पाई|उसका लड़का 5 -7 साल से अधिक उम्र का हो गया था। वह लड़का अपने दोस्तों के साथ किसी जंगल में लकड़ी चुनने  गया,उसी जंगल में एक बहुत विशाल सांप था,वह साप उस लड़का को सीधे निगल गया,सारे बच्चे भागते-भागते घर आये और उसके मम्मी से बताये की आपके बेटा को साप खा लिया है,लड़का की माँ अपने बेटा के लिए रो-रो के बुरा हाल हो गया,दिन रात रोती रही बिलखती रही,उसी समय एक भिखारी के रुम में जीवित्पुत्रिका माता आई और बोली की क्या बात है,तुम्हारा तो रो-रो के बुरा हाल है,वह महिला पूरी बात बताई तो वह भिखारी बोला की अगले साल जीवित्पुत्रिका व्रत आएगा वह व्रत करना और पारण के दिन चावल का माड़ (जो बनाने के बाद जो पानी निकलता है)फुक-फुक के पीना तुम्हारा बेटा वापस मिल जायेगा इतना कह के भिखारी चला गया|उसके बाद लड़का की माँ 1 साल व्रत के लिए इन्तजार की और 1 साल बाद जब जीवित्पुत्रिका व्रत आया तो उस व्रत को अपने पुरे धूम-धाम रीती-रिवाज के साथ की और पारण के दिन भिखारी के बताये गए रिवाजो को बातो को ध्यान में रखते हुए जीवित्पुत्रिका व्रत किया  साथ ही पारण के दिन लड़का की माँ चावल दाल सब्जी सब खाने वाला भोजन बनाई और चावल के माड़ को फुक-फुक के पीना सुरु किया जैसे जैसे माड़ समाप्त होने लगा वैसे वैसे सांप उस लड़का को अपने पेट से बाहर निकलने लगा,जब लड़के की माँ ने सब माड़ समाप्त किया वैसे ही सांप ने लड़के को अपने पेट से बाहर बहार निकाल दिया |वह लड़का अपने घर आया लड़का और लड़का की माँ दोनों बहुत खुश हुए और फिर से एक साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे|तभी से लोग जीवित्पुत्रिका व्रत करने लगे और यह व्रत हर साल मनाया जाता है।

जीवित्पुत्रिका व्रत कौन-कौन से राज्यों में प्रशिद्ध है

जीवित्पुत्रिका व्रत के बारे में  सब राज्यों के लोगो को सायद ही पता हो लेकिन जीवित्पुत्रिका व्रत उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखण्ड राज्य की बहुत प्रसिद्ध व्रत है,यह व्रत इन सब राज्यों की महिलाये बहुत धूम-धाम से मनाती है,जीवित्पुत्रिका व्रत के बारे में नेपाल के लोगो को भी अच्छे से पता है,और उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखण्ड राज्य की महिलाये अपना राज्य छोड़कर जिस किसी भी राज्य में बसी है उसी राज्य में वह महिलाये इस पर्व बहुत अच्छे से मनाती है।

जीवित्पुत्रिका व्रत करने के लिये क्या खाना जरुरी होता है

जीवित्पुत्रिका व्रत में माताएं बच्चों को मड़ुआ आटा से तैयार रोटी, नोनी का साग एवं सतपुतिया की सब्जी भोजन में ग्रहण करेंगी,इसके साथ साथ ही सतपुतिया के सब्जी,दाल,दही,चिउड़ा,चीनी का बुरादा (शक्कर) धुले हुए गेहू का अट्टा का पूड़ी भी लोग बनाते है और आटे छोटी-छोटी लोई बनाकर थोड़ा-थोड़ा लोई फैला के 3 लोई लेके तीनो लोई में सरसो तेल लगा के उसका रोटी बनाके तब सरगही किया जाता है अब के समय में लोग सरगही के साथ केला भी खा लेते है, जिस स्थान पर सरगही करना है उस स्थान को पानी से उस जमीन को शुद्ध करके उसके बाद उस जगह पर सब सामान इक्क्ठा करके सब में से थोड़ा थोड़ा निकाल कर मिला ले उसके बाद तिरोई के पत्ता पर रख (चढ़ा) दिया जाता है उसके साथ ही पानी भी गिराया जाता है |और तिरोई के पत्ता पर रखे हुए खाने को हटाकर किसी ऊचे जगह पर रख दिया जाता है|उसके बाद खाना खाया जाता है,खाना भी सुबह में 3 या 4 बजने से पहले ही खा लेना है सुबह में4 बजे के बाद कुछ नहीं खाना है।

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जीवित्पुत्रिका से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर (Jitiya Festival FAQ)

Q. 2023 का जीवित्पुत्रिका के त्यौहार है
Ans. 2023 का जीवित्पुत्रिका के त्यौहार 6 अक्टूबर है
Q. जीवित्पुत्रिका क्यों मनाया जाता है?
Ans. जीवित्पुत्रिका माँ अपने संतान प्राप्ति
Q. जीवित्पुत्रिका का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
Ans. जीवित्पुत्रिका का त्यौहार दिन महिलाएं पूरे दिन भोजन और जल ग्रहण नहीं किए बिना दूसरे दिन स्नान-पूजा के बाद व्रत का पारण करती हैं।
Q. जीवित्पुत्रिका के उद्देश्य क्या है।
Ans. जीवित्पुत्रिका के दिने माँ अपने पुत्र के दीर्घायु आयु की कामना है
Q. जितिया पर्व का नहाए खाए कब है?
Ans. जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाए से होती है. इस साल 17 सितंबर 2022 दिन सैटरडे (saturday) को नहाए खाए होगा 18 सितंबर 2022 दिन संडे (Sunday) को निर्जला व्रत रखा जाएगा

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